Rising Bharat Swadeshi News Feed: October 3rd 2020

  • Planning of investment in BHARAT
  1. रिलायंस फाइबर को मिल सकता है 7.5 हजार करोड़ रु. का नया निवेश, दो इन्वेस्टमेंट कंपनियां खरीद सकती हैं हिस्सेदारी

Key points:

  1. सब्सिडियरी में सऊदी अरब की पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (पीआईएफ) और अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी निवेश कर सकती हैं
  2. इनविट का 51 प्रतिशत हिस्सा डिजिटल फाइबर इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट और 48.44 प्रतिशत हिस्सा आरआईएल के पास है

(Dainik Bhaskar, 3 October, 2020) News Link

  1. महाराष्ट्र: एक शख्स ने 43 गाँवों के 63 झीलों को उबारा बदहाली से, जानिए कैसे

Key points:

  1. मनीष कहते हैं, “झीलों में मछलियों को वापस लाने के लिए, समाधान ढूंढ़ने का फैसला किया। इसके तहत हमने सबसे पहले झील के घासों को हटाया और सुनिश्चित किया कि बची हुई मछलियों को कोई नुकसान न पहुँचे।”मनीष बताते हैं कि समुदायों ने आसपास की झीलों में स्थानीय पौधों की खोज की और उन्हें फिर से लगाने का फैसला किया।हमने गर्मियों के दौरान झील क्षेत्र के जमीन की जुताई की, जो मानसून के दौरान सामान्यतः जलमग्न हो जाता था।
  2. इसमें हाइड्रिला वर्टिसिल्टा, सेराटोफिलम डिमर्सम, वेलीसनेरिया स्पाइरलिस और फ्लोटिंग प्लांट, जैसे कि निम्फाइड्स इंडिकम, निम्फाइड्स हाइड्रॉफिला, निम्फिया क्रिस्टल के साथ ही आंशिक रूप से पानी में लगने वाले पौधे जैसे – एलोचारिस डलसिस को रि-प्लांट किया गया।
  3. हालांकि, राकेश कहते हैं कि स्थानीय जैव विविधता और आवास को फिर से बहाल करने के उद्देश्यों के तहत दीर्घ अवधि के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। एक और रास्ता यह है कि स्थानीय मछलियों के संवर्धन और संरक्षण के लिए अलग जल निकायों की स्थापना की जा सकती है।

(The Better India, 3 October 2020) News Link

  • राजस्थान: हिरण के शिकारियों पर रखते हैं पैनी नज़र, अब तक बचा चुके हैं 10 हज़ार हिरण

Key points:

  1. यह प्रेरक कहानी है राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के किसान अनिल बिश्नोई की। अनिल बिश्नोई ने अपना जीवन वन्य जीवों के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया है। बीते तीन दशकों से वह इलाके में वन्य जीवों को बचाने की मुहिम में जुटे हैं। अनिल को जितना प्यार अपने बेटी-बेटे से है उतना ही स्नेह हिरण, मोर, तीतर, सूअर, नील गाय, खरगोश, लोमड़ी, सांपों और कछुओं से भी है।
  2. अनिल ने शुरुआत अपने गाँव लखासर से की। जैसे ही उन्हें हिरण के शिकार की आशंका की भनक पड़ती, वह मौके पर पहुँच जाते थे। शिकारियों को भगाने लगे। प्रतिरोध होने पर इधर शिकारी हतोत्साहित होने लगे तो उधर अनिल का मनोबल बढ़ने लगा। वह न केवल शिकारियों को शिकार करने से रोकते बल्कि शिकार कर लिए जाने पर शिकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने लगे। इस कारण क्षेत्र में लोग एक पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में उन्हें पहचानने लगे। आसपास और दूरदराज के गांवों से भी उन्हें शिकारियों के बारे में सूचनाएँ मिलने लगी।
  3. अनिल हर वक्त जीवों के बारे में सोचते हैं। उनकी हर जरूरत का ख्याल रखते हैं। गर्मियों में हिरणों के लिए पानी का संकट खड़ा हो जाता था। कई बार जल संकट का परिणाम हिरणों की मौत के रूप में सामने आता। गर्मियों में हिरण प्यास से न मरे, इसके लिए उन्होंने पानी का इंतजाम किया है। उन्होंने तीन साल पहले पानी के 60 एनिकेट (छोटे बाँध) बनवाए हैं। इस काम के लिए उन्होंने ग्रामीणों से निर्माण सामग्री एकत्र की और एनिकेट बनवा दिए। उन्हें कहीं भी घायल हिरण मिल जाता है तो वह उसे घर ले आते हैं उसकी मरहम-पट्टी करते हैं और स्वस्थ हो जाने पर स्वच्छ विचरण के लिए छोड़ देते हैं।

(The Better India, 3 October 2020) News Link

  • जिनके लिए घर है एक सपना, उनके लिए सस्ते और टिकाऊ घर बनाते हैं यह आर्किटेक्ट

Key points:

  1. आज हम आपको एक ऐसे आर्किटेक्ट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्से में एक लाख से अधिक ग्रीन बिल्डिंग्स का निर्माण किया है। पद्मश्री से सम्मानित आर्किटेक्ट गोपाल शंकर को उनके सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली निर्माण के लिए जाना जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनका सस्टेनेबल आर्किटेक्चर चंद लोगों तक सीमित नहीं है बल्कि वह आम आदमी के लिए प्रकृति के अनुकूल घर बनाते हैं। शायद इसलिए ही उन्हें ‘People’s Architect’ यानी कि आम आदमी का आर्किटेक्ट कहा जाता है।
  2. केरल के तिरुवनंतपुरम में उनका ऑफिस है और आज स्थानीय सब्ज़ी वाले, मछली पकड़ने वाले लोग उनके यहाँ आकर अपना घर डिज़ाइन करवाते हैं। शंकर इन लोगों के आर्किटेक्ट हैं, जिनके लिए घर बनाना एक ऐसा सपना होता है, जिसके लिए वह जिंदगीभर मेहनत करते हैं।
  3. उन्होंने आर्किटेक्चर के क्षेत्र में मशहूर आर्किटेक्ट लौरी बेकर से प्रेरणा ली। भारत में सस्टेनेबल आर्किटेक्चर की शुरूआत करने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। शंकर ने उनके ही सिद्धांतों और सीख को समझा और आगे बढ़े। उनके बारे में वह कहते हैं, “उन्होंने भारत को समझा और निर्माण में भारतीयता को शामिल किया। गौर करने वाली बात है कि हमें भारतीय आर्किटेक्चर में गांधी जी के मूल्यों को शामिल करने के लिए इंग्लैंड के एक आदमी की ज़रूरत पड़ी। मैंने कभी उनके साथ काम नहीं किया लेकिन हमेशा उन्हें अपना मेंटर माना है।”

(The Better India, 3 October 2020) News Link

  1. गुरुग्राम जैसे शहर में घर को बनाया अर्बन फार्म, पूरे साल उगातीं हैं तरहतरह की सब्जियां

Key points:

  1. हर किसी को गार्डनिंग का शौक नहीं होता है लेकिन कुछ ऐसी परिस्थति बनती है कि ऐसे लोग भी बागवानी की शुरूआत कर देते हैं। ऐसी ही कहानी हरियाणा के गुरुग्राम में रहने वाली रूचिका की है। उन्होंने जब आसपास के लोगों को गार्डनिंग करते हुए देखा और उन्हें महसूस हुआ कि बाजार से वह जो कुछ भी सब्जी लाती हैं, वह ऑर्गेनिक नहीं है तो उन्होंने भी किचन गार्डन की शुरूआत कर दी।
  2. रूचिका के गार्डन में आपको हर मौसम में सब्जी मिल जाएगी। फिलहाल, वह सर्दियों की सब्जियों के लिए अपने गार्डन को तैयार कर रही हैं। रुचिका कहती हैं, “2-3 तरह की मूली, 2 -3 किस्म की गाज़र (लाल, पीली, काली), हरी मिर्च, काली मिर्च, फूलगोभी, ब्रोकॉली, सलाद की लगभग 15 किस्में, पुदीना, तुलसी, धनिया, पार्सले, पत्तागोभी, चकुंदर, सरसों, बीन्स आदि अपने गार्डन में उगाती हूँ। इसके अलावा 15-16 किस्म के फूल के पौधे भी हैं।”
  3. अपने पूरे गार्डन की देखभाल रूचिका खुद करती हैं। उनका कहना है कि उनके घर से बहुत ही कम कोई कचरा बाहर जाता है, वह रीसाइक्लिंग, रियूजिंग और कम्पोस्टिंग में विश्वास करती हैं। उनके किचन का सारा वेस्ट खाद और बायोएंजाइम बनाने में इस्तेमाल होता है। यहाँ तक कि उनके गार्डन का भी जो वेस्ट होता है जैसे सूखे पत्ते या फिर पुराने मौसम के सब्जियों के पौधे, बेल जिनसे हार्वेस्ट ले ली गई है और जिन्हें अब निकालना है- सभी कुछ को वह बायोएंजाइम बनाने में इस्तेमाल कर लेती हैं।

(The Better India, 3 October 2020) News Link

  • Startup in Bharat by Bhartiya
    • How Mumbai-based wellness startup Olena helps people stay fit with plant-based protein products

Key points:

  1. Mumbai-based wellness startup Olena is a D2C plant-based nutrition brand that produces and sells vegan supplements and protein products across India.
  2. Akash Zaveri launched Olena in 2018 to help Indians live a healthy life by consuming plant-based diets after he realised the benefits of adopting a completely vegan diet in 2015 while he was working in California.
  3. “Olena is a plant-based nutrition brand founded with a vision to awaken the world to the potential of plant-based nutrition. With modern lifestyles and industrialised farming methods, eating high quality, bioavailable foods has become increasingly difficult. Also, finding good products that pack in the benefits of nature has become a challenge in developing countries such as India. We believe that elevating mind, body, and planet are key to living a healthy, happy life and plant-based nutrition is key to achieving this,” Akash told
  4. The company says that while ingredients are sourced from across the world, all products are developed in-house. Olena products are priced between Rs 350 and Rs 4,500, depending on the type and pack size. The products are sold directly-to-consumer via Olena’s official website, third-party channels, and retail and international distributors.

(Your Story, 3 October) News Link

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